रावण को सीता का हरण करना था उसने वेष बनाया ब्राह्मण का।
हनुमानजी को राम का भेद लेना हुआ उन्होंने वेष बनाया ब्राह्मण का।
कालनेमी को हनुमानजी को उनसे मार्ग से भटकाना हुआ उसने वेष बनाया ब्राह्मण का।
कर्ण को परशुराम जी से धनुर्वेद का ज्ञान लेना हुआ वेश बनाया ब्राह्मण का।
श्रीकृष्ण को कर्ण को छलना हुआ वेश बनाया ब्राह्मण का।
श्रीकृष्ण सहित भीमादि पांडवों को छल से जरासंध का वध करना हुआ वेश बनाया ब्राह्मण का।
वरुण को राजा हरिश्चंद्र की परीक्षा लेना हुआ वेश बनाया ब्राह्मण का।
विश्वामित्र को राजा हरिश्चंद्र को छलना को हुआ वेश बनाया ब्राह्मण का।
विष्णु को राजा बलि को छलना हुआ वेश बनाया ब्राह्मण का।
अश्विनी कुमारों को च्यवन ऋषि की पत्नी सत्यवती की परीक्षा लेना हुआ वेश बनाया ब्राह्मण का।
अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव सहित कुंती तथा द्रौपदी ने कई बार ब्राह्मण का वेश धारण किया।
जब जब किसी को कोई समाजवर्धी , राष्ट्रविरोधी पाप और क्रूर कर्म करना हुआ तो उसने ब्राह्मण का वेश ही धारण किया।

क्यों? क्योंकि ब्राह्मण नाम है एक भरोसे का।
ब्राह्मण नाम है एक विश्वास का।
ब्राह्मण नाम है सत्य का।
ब्राह्मण नाम है धर्म का।
ब्राह्मण नाम है सबका कल्याण चाहने वाला,सबको सुखी देखने वाला,सबको साथ लेकर सन्मार्ग पर चलने वाला,राष्ट्रभक्ति , दूरदर्शिता,अध्ययन,लगन, ज्ञान, त्याग, तप, बलिदान ,शील,धैर्य,निष्पक्षता,संतोष और संयम का।
इसलिए ब्राह्मण के नाम, ब्राह्मण की प्रतिष्ठा का लाभ उठाना बहुत आसान था। उसके वेश से, उसके नाम से लोगों को मूर्ख बनाना आसान था। उसके नाम से लोगों को ठगना आसान था। आज भी यही हो रहा है….
आरएस शर्मा
प्रियदर्शनी परिसर पूर्व सुपेला भिलाई