उपहास टूटा नेतृत्व उभरा

भारतीय राजनीति में यदि किसी नेता ने हाल के वर्षों में अपनी छवि को पूरी तरह बदलकर जनता के बीच नई पहचान बनाई है, तो वे हैं राहुल गांधी। कभी जिनका मज़ाक उड़ाकर उन्हें “पप्पू” कहा जाता था, आज वही राहुल गांधी कांग्रेस की मज़बूत आधारशिला बनते जा रहे हैं।

उपहास की छाया से बाहर

राजनीति में उनके शुरुआती कदमों के साथ ही विरोधियों ने उन्हें तानों और उपमाओं से घेरना शुरू कर दिया। “अनुभवहीन”, “कमज़ोर” और “गैर-गंभीर” जैसी परिभाषाएँ उनके साथ जुड़ीं। मीडिया में अक्सर उनकी छवि पर कटाक्ष किए गए। किंतु राहुल गांधी ने इन सबका उत्तर चुप्पी और धैर्य से दिया। उन्होंने समय के साथ सिद्ध कर दिया कि किसी भी नेता की असली पहचान उसके कर्म और विचारों से होती है, न कि उपहास और व्यंग्य से।

कन्याकुमारी से कश्मीर तक – भारत जोड़ो यात्रा

2022 में आरंभ हुई भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन का निर्णायक अध्याय बनी। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यह लंबी पैदल यात्रा केवल दूरी तय करने की कवायद नहीं थी, बल्कि यह जनमानस के दिलों को छूने का प्रयास थी। गांव-गांव, कस्बों और शहरों से गुज़रते हुए उन्होंने किसानों के दर्द को सुना, बेरोजगार युवाओं की पीड़ा जानी, महिलाओं की कठिनाइयों को समझा और हर वर्ग से संवाद स्थापित किया। इस यात्रा ने उन्हें “जननेता” के रूप में स्थापित किया।

बिहार की वोट अधिकार रैली

बिहार की वोट अधिकार रैली ने राहुल गांधी की राजनीति में नयी धार भर दी। यहां उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि लोकतंत्र केवल सत्ता परिवर्तन का माध्यम नहीं, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी का अधिकार है। उनके भाषण ने युवाओं और आम जनता के बीच विश्वास जगाया कि कांग्रेस पुनः जनता की आवाज़ बन सकती है।

संसद में सशक्त उपस्थिति

संसद में राहुल गांधी के हाल के भाषण उनकी परिपक्वता और गहराई को स्पष्ट करते हैं। बेरोज़गारी, महंगाई, किसानों की समस्याओं, संस्थाओं की स्वतंत्रता और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों पर उनकी मुखरता ने उन्हें गंभीर और दूरदर्शी नेता के रूप में पहचान दिलाई। संसद में उनका एक-एक शब्द अब गूंज पैदा करता है, जिसे अनदेखा करना विरोधियों के लिए भी कठिन हो गया है।

विरोधियों की बदलती दृष्टि

जिन्हें कभी “पप्पू” कहकर उपहासित किया जाता था, आज वही राहुल गांधी जब जनता की भीड़ में उतरते हैं तो विरोधी भी उनकी लोकप्रियता देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं। तानों और उपमाओं के पीछे छिपाने की कोशिश की गई वास्तविकता आज सबके सामने है—राहुल गांधी ने खुद को और कांग्रेस दोनों को मज़बूती प्रदान की है।

कांग्रेस का पुनरुत्थान

कभी देश की सबसे पुरानी पार्टी हाशिए पर जाती दिख रही थी, किंतु आज कांग्रेस पुनः केंद्र में लौटती दिखाई दे रही है। राजस्थान, कर्नाटक, हिमाचल जैसे राज्यों में सफलता और कई राज्यों में बढ़ती सक्रियता इसका प्रमाण है। राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी संगठन को नई ऊर्जा और दिशा मिली है।

राहुल गांधी की यात्रा केवल व्यक्तिगत छवि सुधारने की नहीं, बल्कि कांग्रेस की पुनर्स्थापना की भी कहानी है। उपहास और व्यंग्य से शुरू हुई यह राह आज नेतृत्व और विश्वास की मिसाल बन चुकी है। जनता से सीधे संवाद और संवेदनशील मुद्दों पर निर्भीकता से बोलने के कारण वे आज भारतीय राजनीति में गंभीर, प्रासंगिक और सशक्त नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं।

लेखक आर एस शर्मा 

पूर्व अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी 3 भिलाई नगर

पूर्व महामंत्री जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण

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