ब्रह्मांड में सबसे तेज गति
विज्ञान ने हमें बताया है कि प्रकाश की गति सबसे तेज है – लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड। परंतु हमारे पूर्वजों ने एक और गति की खोज की थी जो इससे भी तेज है – मन की गति, प्रार्थना की गति, आशीर्वाद की गति।
जब हम मन से किसी के लिए प्रार्थना करते हैं या आशीर्वाद देते हैं, तो वह तुरंत, उसी क्षण उस व्यक्ति तक पहुंच जाता है। इसमें समय, दूरी, या भौतिक बाधाओं का कोई प्रभाव नहीं होता।
मन की असीमित शक्ति
हमारा मन अद्भुत है। जैसे ही हम भगवान के बारे में सोचते हैं, वैसे ही हमारा मन उनकी आकृति को देख लेता है। चाहे वे राम हों, कृष्ण हों, शिव हों या कोई और रूप – मन उन्हें तुरंत अपनी दृष्टि में ला लेता है। यह गति किसी भी भौतिक गति से कहीं अधिक तेज है।
सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश को पहुंचने में 8 मिनट लगते हैं, चंद्रमा से 1.3 सेकंड लगते हैं। परंतु मन की गति इससे भी तेज है। जैसे ही हम सोचते हैं, वैसे ही हमारा मन वहां पहुंच जाता है जहां हम चाहते हैं।
प्रार्थना की तत्काल पहुंच

जब हम किसी के लिए मन से प्रार्थना करते हैं, तो वह प्रार्थना उसी क्षण उस व्यक्ति तक पहुंच जाती है। दूरी कोई बाधा नहीं है। चाहे वह व्यक्ति हजारों किलोमीटर दूर हो या बगल में बैठा हो, प्रार्थना की गति समान रहती है।
यही कारण है कि माता-पिता की प्रार्थना अपने बच्चों तक तुरंत पहुंचती है। गुरु का आशीर्वाद शिष्य को तत्काल प्राप्त होता है। संत-महात्माओं की प्रार्थना पूरे संसार को प्रभावित करती है।
आशीर्वाद की तुरंत प्राप्ति
जब कोई व्यक्ति मन से आशीर्वाद देता है, तो वह आशीर्वाद उसी समय प्राप्त हो जाता है। यह कोई धीमी प्रक्रिया नहीं है। जैसे ही आशीर्वाद के शब्द मुंह से निकलते हैं, वैसे ही उसकी शक्ति व्यक्ति को मिल जाती है।
भगवान का आशीर्वाद तो और भी तत्काल है। जैसे ही हम सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, वैसे ही भगवान की कृपा हम पर बरसने लगती है।

मन की शुद्धता का महत्व
परंतु यह सब तभी संभव है जब हमारा मन शुद्ध हो, निष्कपट हो। जब हम मन से, पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रार्थना करते हैं, तभी यह शक्ति काम करती है।
आधे मन से, संदेह के साथ, या केवल दिखावे के लिए की गई प्रार्थना में वह शक्ति नहीं होती। मन की एकाग्रता, भावना की शुद्धता, और श्रद्धा की गहराई ही प्रार्थना को शक्तिशाली बनाती है।
प्रार्थना और आशीर्वाद कभी निष्फल नहीं होते
यह सत्य है कि मन से की गई प्रार्थना और दिया गया आशीर्वाद कभी निष्फल नहीं जाते। भले ही हमें तुरंत परिणाम दिखाई न दे, परंतु उसका प्रभाव अवश्य होता है।
कभी-कभी परिणाम अलग रूप में आता है, कभी समय लगता है, परंतु सच्ची प्रार्थना और आशीर्वाद हमेशा फलीभूत होते हैं। यह ब्रह्मांड का नियम है।
मन की गति, प्रार्थना की गति, आशीर्वाद की गति – यह सब ब्रह्मांड की सबसे तेज गति है। इसे कोई माप नहीं सकता, परंतु इसका अनुभव कर सकता है।
आर एस शर्मा
प्रियदर्शनी परिसर पूर्व सुपेला भिलाई