बिहार में कांग्रेस पार्टी की वोटर अधिकार यात्रा अगस्त 2025 में शुरू होकर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना बनी है। यह यात्रा 16 दिनों तक चली और 1300 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए बिहार के 25 जिलों से गुजरी। यात्रा का नेतृत्व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने किया।
प्रमुख नेताओं की सहभागिता
यात्रा में शामिल हुए राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में शामिल हैं:
- राहुल गांधी – कांग्रेस सांसद और लोकसभा नेता प्रतिपक्ष। तेजस्वी यादव – राष्ट्रीय जनता दल नेता। प्रियंका गांधी वाड्रा – कांग्रेस महासचिव। एम.के. स्टालिन – तमिलनाडु के मुख्यमंत्री। अखिलेश यादव – समाजवादी पार्टी नेता। अन्य INDIA गठबंधन के नेता
यात्रा का मार्ग एवं जिलों का विवरण
यात्रा सासाराम से शुरू होकर निम्नलिखित प्रमुख जिलों से होकर गुजरी:
प्रारंभिक चरण: सासाराम → औरंगाबाद → गया → जहानाबाद → नालंदा → नवादा → शेखपुरा → जमुई → लखीसराय → बेगूसराय → खगड़िया → मुंगेर → भागलपुर → बांका → कटिहार → पूर्णिया → अररिया → किशनगंज → सुपौल → मधेपुरा → सहरसा → दरभंगा → मधुबनी → सीतामढ़ी → सिवान
यात्रा के दौरान नेताओं ने पैदल यात्रा, बाइक रैली और जीप सवारी के जरिए जनसंपर्क किया।




जनता पर प्रभाव देखा गया
सकारात्मक प्रभाव:
- जनसहभागिता: यात्रा के दौरान हजारों लोगों की भीड़ देखी गई। युवाओं में उत्साह: विशेषकर राहुल गांधी की बाइक रैली ने युवाओं को आकर्षित किया। मीडिया कवरेज: व्यापक मीडिया कवरेज से महागठबंधन की दृश्यता बढ़ी
- गैर-हिंदी भाषी नेताओं का स्वागत: स्टालिन जैसे नेताओं की उपस्थिति से राष्ट्रीय एकता का संदेश मिल
- BJP के आरोप: यात्रा को “वोट चोरी” के मुद्दे पर केंद्रित करने से विवाद भी हुआ क्षेत्रीय भावना का विरोध कुछ स्थानीय नेताओं ने बाहरी नेताओं की उपस्थिति पर भी उठे सवाल
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पर प्रभाव
वोटर अधिकार यात्रा का सबसे तीखा विरोध प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से आया:
प्रशांत किशोर की आलोचना: “बेमतलब की यात्रा”: प्रशांत किशोर ने इसे बिहार के लिए निरर्थक बताय। दक्षिण भारतीय नेताओं की उपस्थिति पर सवाल: स्टालिन की उपस्थिति को लेकर तीखी टिप्पणी की तमाचा की टिप्पणी तेजस्वी यादव पर बिहार की जनता का अपमान करने का आरोप लगाया गया
जन सुराज पार्टी की स्थिति: यात्रा के समानांतर “बिहार बदलाव यात्रा” चलाई। महागठबंधन से अलग अपनी पहचान बनाने की कोशिश की। स्थानीय मुद्दों पर फोकस करने का दावा किया
- कांग्रेस पार्टी को फायदे
- दृश्यता में वृद्धि: बिहार में कांग्रेस की उपस्थिति दिखी। महागठबंधन की एकता: विभिन्न दलों के नेताओं की एकजुट उपस्थित। युवा आकर्षण: राहुल गांधी की बाइक रैली से युवाओं में लोकप्रियता। मीडिया कवरेज: व्यापक प्रचार मिला
- जमीनी स्तर पर संपर्क: प्रत्यक्ष जनसंपर्क के अवसर मिले
छोटी पार्टियों पर प्रभाव
- INDIA गठबंधन के सदस्य दलों को राष्ट्रीय मंच मिला। क्षेत्रीय दलों की दृश्यता बढ़ी
नकारात्मक प्रभाव:
- स्वतंत्र पहचान की चुनौती: छोटे दल कांग्रेस की छाया में दिखे। प्रशांत किशोर जैसे नेताओं की आक्रामकता से वैकल्पिक राजनीति की संभावना बढ़ी
वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार की राजनीति में नई गतिशीलता ला दी है। यह यात्रा कांग्रेस और महागठबंधन के लिए मिश्रित परिणाम लेकर आई है। एक ओर इसने विपक्षी एकता दिखाई और जनसंपर्क का अवसर दिया, वहीं दूसरी ओर प्रशांत किशोर जैसे नेताओं से तीखा विरोध भी झेलना पड़ा।
**बिहार का चुनावी मिजाज:**
बिहार की राजनीति में अभूतपूर्व बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। पारंपरिक NDA बनाम महागठबंधन की द्विध्रुवीय राजनीति अब त्रिकोणीय मुकाबले में तब्दील होती दिख रही है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के तीसरे विकल्प के रूप में उभरने से चुनावी समीकरण जटिल हो गए हैं। मतदाताओं, विशेषकर युवाओं में पारंपरिक राजनीति से इतर नई राजनीति की तलाश दिखाई दे रही है।
**कांग्रेस की वर्तमान स्थिति:**
वोटर अधिकार यात्रा के बाद कांग्रेस की स्थिति मिश्रित है। सकारात्मक पहलुओं में राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता, महागठबंधन की एकजुटता का प्रदर्शन, और जमीनी स्तर पर बेहतर पहुंच शामिल है। हालांकि, पार्टी को स्थानीय नेतृत्व की कमी, प्रशांत किशोर जैसी आक्रामक आलोचना, और ‘बाहरी नेता’ के रूप में देखे जाने की चुनौती झेलनी पड़ रही है।
**भविष्य की संभावनाएं:**
आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह किस प्रकार स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे से जोड़ती है, युवा मतदाताओं को आकर्षित करती है, और जन सुराज पार्टी के मुकाबले अपनी विश्वसनीयता स्थापित करती है। वर्तमान में पार्टी महागठबंधन के मजबूत सहयोगी के रूप में दिख रही है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल बनने के लिए अभी भी काम करना होगा।
आने वाले विधानसभा चुनावों में इस यात्रा का वास्तविक प्रभाव तब स्पष्ट होगा जब मतदाता अपनी पसंद व्यक्त करेंगे। फिलहाल बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं, जहां पारंपरिक द्विध्रुवीय राजनीति के स्थान पर त्रिकोणीय प्रतिस्पर्धा की संभावना बढ़ गई है।
लेखक आर एस शर्मा
विशेष आमंत्रित सदस्य भिलाई शहर जिला कांग्रेस कमेटी