छत्तीसगढ़ की संस्कृति और नदियों का योगदान

नदियों के तट पर बसा जीवन
छत्तीसगढ़ की पहचान उसकी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं से है। इस सांस्कृतिक वैभव की जड़ें नदियों के किनारे बसे नगरों और गांवों में मिलती हैं। महानदी, इंद्रावती, शिवनाथ, अरपा, केलो और हसदेव जैसी नदियों ने न केवल भूमि को उपजाऊ बनाया बल्कि मानव बसाहट और जीवन मूल्यों की नींव भी रखी।

नगर और संस्कृति का विकास
रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर और राजिम जैसे प्रमुख नगर नदियों के किनारे विकसित हुए। इन नगरों में धार्मिक आयोजन, सामाजिक मेल-जोल और सांस्कृतिक परंपराओं ने गहरी जड़ें जमाईं। राजिम का त्रिवेणी संगम तो आज भी छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक पहचान है, जहां प्रतिवर्ष राजिम कुंभ मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

कला और लोकजीवन में नदियों की छाप
छत्तीसगढ़ के लोकगीत, पंथी नृत्य, करमा, रौत नाचा जैसे सांस्कृतिक रूपों में नदियों और प्राकृतिक संपदा का उल्लेख बार-बार मिलता है। किसान अपने गीतों में नदियों को मां समान मानकर धन्यवाद देते हैं। नदियों की धारा यहां के लोकजीवन की आत्मा बन चुकी है।

संस्कारों का अभ्युदय
नदियों ने जहां खेती-बाड़ी और आजीविका को पोषित किया, वहीं मानव जीवन के संस्कारों को भी आकार दिया। जन्म से लेकर मृत्यु तक की संस्कारपरंपरा में नदियों का विशेष स्थान है। धार्मिक अनुष्ठान, स्नान और तर्पण से लेकर मेलों तक नदियां छत्तीसगढ़ की संस्कृति को जीवंत बनाती हैं।


छत्तीसगढ़ की संस्कृति और संस्कार का अभ्युदय नदियों के कारण ही संभव हुआ। नदियां यहां केवल जल की धारा नहीं, बल्कि जीवन, आस्था और संस्कृति की धारा भी हैं, जिन्होंने इस धरती को ‘धान का कटोरा’ और संस्कृति की पावन भूमि बनाया है।

मानव सभ्यता का उद्भव और संस्कृति का प्रारंभिक विकास नदी के किनारे हुआ है छत्तीसगढ़ राज्य में नदियों की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है

छत्तीसगढ़ की नदियों के संबंध में अगर हम देखें तो यहां की प्रमुख नदियां महानदी शिवनाथ नदी, हसदेव नदी ,अरपा नदी, रेणुका नदी ,खारुन नदी, मनिहारी नदी ,लीलागर नदी, इंद्रावती नदी, कोटरी नदी, बाघ नदी , मारीनदी ,शबरी नदी, तांदुला नदी ,पैरी नदी, जोक नदी, मांड नदी ,यहां की प्रमुख नदियों में से हैं

महानदी

अगर हम महानदी की चर्चा करें तो यह नदी छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा और छत्तीसगढ़ की गंगा कहलाती है धमतरी जिले के सिहावा पर्वत से निकलकर 22 मीटर ऊंचाई से निकलकर उड़ीसा के पास बंगाल की खाड़ी में समा जाती है महा नदी की कुल लंबाई 858 किलोमीटर है राजीव में महानदी से तेरी और सोडूरआकर मिलती है शिवरीनारायण में महानदी से शिवनाथ और जोक आकर मिलती है चंद्रपुर में जांजगीर चांपा के पास महानदी में मांड और लात नदी आकर मिलती है उड़ीसा पर विशाल हीराकुंड बांध भी इसी नदी पर बना हुआ है

इंद्रावती

इंद्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक है नदी के मुहाने पर जगदलपुर शहर बसा है जगदलपुर के निकट 40 किलोमीटर की दूरी पर चित्रकूट जलप्रपात स्थित है यह भारत का सबसे बड़ा जलप्रपात है इंद्रावती नदी 90 फीट की ऊंचाई से प्रपात रूप में गिरती है या जलप्रपात कनाडा के नियाग्रा जलप्रपात के बाद विश्व के सबसे बड़े जलप्रपात है इसकी लंबाई 386 किलोमीटर है तथा इसका उद्गम स्थल रामपुर है

हसदेव

हसदेव नदी यह नदी कोरिया जिले के देवगढ़ के पहाड़ी के कैमूर पर्वत से निकलकर कोरबा जांजगीर चांपा जिले से बहती हुई शिवरीनारायण के पास महानदी में मिल जाती है इस नदी पर कोरवा में हसदेव बांगो परियोजना संचालित है इस नदी पर छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा बांध 87 मीटर बनाया गया है इसकी कुल लंबाई 176 किलोमीटर है

शिवनाथ

शिवनाथ नदी यह राजनांदगांव जिले के अंबागढ़ तहसील की 625 मीटर ऊंची पानाबरस पहाड़ी क्षेत्र कोडागुल से निकलकर बलोदा बाजार तहसील के पास महानदी में मिल जाती है इसकी लंबाई 290 किलोमीटर है मोगरा बैराज परियोजना इसी नदी में है

अरपा

अरपा नदी का उद्गम स्थल पेंड्रा पहाड़ी से हुआ है बिलासपुर तहसील में प्रवाहित होती है और शिवनाथ नदी में बरतोरी के निकट मिल जाती है इसकी लंबाई 147 किलोमीटर है

पैरी नदी यह महा नदी की सहायक नदी है भ्रातगढ़ पहाड़ी तहसील बिंद्रा नवागढ़ जिला गरियाबंद से निकलकर महानदी में राजिम में आकर मिलती है इसकी लंबाई 90 किलोमीटर है इसका प्रवाह क्षेत्र 3000 वर्ग मीटर है

तांडुला

तांदुला नदी कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर के उत्तर में स्थित पहाड़ियों से निकलती है यह शिवनाथ की प्रमुख सहायक नदी है इसकी लंबाई 64 किलोमीटर है तांदुला बांध इसी नदी पर बालोद तथा आजमाबाद के निकट बनाया गया है

जोक
जोक नदी यह नदी रायपुर के पूर्वी क्षेत्र का जल लेकर शिवरीनारायण जांजगीर चांपा के ठीक विपरीत दक्षिण तट पर महानदी से मिलती है इसकी रायपुर जिले में लंबाई 90 किलोमीटर है तथा इसका प्रवाह क्षेत्र 2480 वर्ग मीटर है

मांड नदी इसका उद्गम स्थल सरगुजा जिले के मेनपाट से है इस की सहायक नदियां कोईराज और कुटकुट नदी है यह चंद्रपुर के समीप महानदी से मिलती है इसकी लंबाई 155 किलोमीटर है यह सरगुजा जांजगीर-चांपा रायगढ़ से होकर गुजरती है

बाघ नदी यह नदी चित्रकूट प्रपात के निकट इंद्रावती से मिलती है

शबरी नदी यह दंतेवाड़ा के निकट बैलाडीला की पहाड़ी से निकलकर और आंध्र प्रदेश के निकट गोदावरी नदी में मिलती है बस्तर जिले में इसका प्रवाह180 किलोमीटर है

खारून

खारुन नदी दुर्ग जिले के बालोद जिले के सजारी क्षेत्र से निकलकर शिवनाथ में मिलती है इसकी लंबाई 208 किलोमीटर है तथा इसका प्रवाह क्षेत्र 22680 वर्ग किलोमीटर है

मनिहारी नदी बिलासपुर के लोरमी पठार से निकलती है इसका उद्गम स्थल मुंह खंडा पहाड़ बेलपान के कुंड और लोरमी का क्षेत्र है आगर छोटी नर्मदा और घोघा इसकी सहायक नदियां हैं


लीलागर नदी इसका उद्गम कोरबा के पूर्वी पहाड़ी से हुआ है यह कोरबा क्षेत्र से निकलकर बिलासपुर और जांजगीर की सीमा बनाती है और शिवनाथ में आकर मिलती है इसकी लंबाई 135 किलोमीटर है

रेणुका नदी अंबिका पुर के मतरिंगा पहाड़ी से निकलती है बलरामपुर जिले से होती हुई यह नदी सोन नदी में आकर मिल जाती है यह नदी सरगुजा की जीवन रेखा कहलाती है रेणुका नदी पर रकसगंडा जलप्रपात है

छत्तीसगढ़ की यह सारी नदियां धान की पैदावार में अपना अहम रोल निभाती है तथा छत्तीसगढ़ को इसी के कारण धान का कटोरा भी कहते हैं

आर एस शर्मा

पूर्व महामंत्री भिलाई शहर जिला कांग्रेस कमेटीविशेष आमंत्रित सदस्य भिलाई शहर जिला कांग्रेस कमेटी

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