ओम श्री गुरुवे नमः

इस त्योहार के मुख्य उद्देश्य और महत्व इस प्रकार हैं:मुख्य उद्देश्य गुरु पूर्णिमा का प्राथमिक उद्देश्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है।

यह दिन शिष्यों के लिए अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शकों का सम्मान करने और उनसे प्राप्त ज्ञान के लिए आभार प्रकट करने का अवसर है।

आध्यात्मिक महत्व

इस दिन का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह महर्षि व्यास की जयंती मनाई जाती है, जिन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित किया और अठारह पुराण तथा महाभारत की रचना की। व्यास जी को “आदि गुरु” माना जाता है, इसलिए यह दिन समस्त गुरुओं का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।

सांस्कृतिक महत्व

भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः” के अनुसार गुरु को त्रिदेव के समान माना गया है। यह दिन इस परंपरा को जीवित रखने और नई पीढ़ी को गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व समझाने के लिए मनाया जाता है।

मनाने के प्रमुख कारण ज्ञान की प्राप्ति:

गुरु वह व्यक्ति है जो हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। इस दिन हम उस ज्ञान के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।आशीर्वाद प्राप्ति: शिष्य इस दिन अपने गुरु से आशीर्वाद लेते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की प्रार्थना करते हैं

संस्कारों का संरक्षण:

यह त्योहार हमारी प्राचीन गुरुकुल परंपरा को याद दिलाता है और शिक्षा व्यवस्था में गुरु के महत्व को स्थापित करता है।

आत्म-चिंतन:

यह दिन स्वयं के आध्यात्मिक विकास पर चिंतन करने और गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है।गुरु पूर्णिमा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र अवसर है जो हमें जीवन में गुरु के महत्व को समझने और उनके प्रति श्रद्धा भाव रखने की प्रेरणा देता है।यह दिन स्वयं के आध्यात्मिक विकास पर चिंतन करने और गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है।गुरु पूर्णिमा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र अवसर है जो हमें जीवन में गुरु के महत्व को समझने और उनके प्रति श्रद्धा भाव रखने की प्रेरणा देता है।

गुरु पूर्णिमा मनाना इसलिए महत्वपूर्ण है:

आध्यात्मिक महत्व:

गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देने का अवसर है। यह दिन महर्षि व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और महाभारत की रचना की। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना जाता है क्योंकि वे ज्ञान देते हैं, उसकी रक्षा करते हैं और अज्ञान का नाश करते हैं

।व्यावहारिक कारण:

गुरु हमारे जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक है। केवल धार्मिक गुरु ही नहीं, बल्कि माता-पिता, शिक्षक, और जीवन में मार्गदर्शन देने वाले सभी व्यक्ति गुरु के समान हैं। इस दिन उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हमारे संस्कारों को दर्शाता है।

मानसिक स्वास्थ्य:

गुरु पूर्णिमा मनाने से विनम्रता, कृतज्ञता और सम्मान की भावना बढ़ती है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी सफलता में अनेक लोगों का योगदान है।सामाजिक एकता: यह त्योहार शिक्षा और ज्ञान के महत्व को रेखांकित करता है, जो समाज की प्रगति के लिए आवश्यक है। गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की आधारशिला है

।आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व हमें जीवन में शिक्षा और मार्गदर्शन की महत्ता को समझने का अवसर देता है।

आर एस शर्मा

प्रियदर्शनी परिसर पूर्व सुपेला भिलाई

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